भवन की डिजाइन में आर्टिफिशियल नहीं, रियल इंटेलिजेंस की जरूरत, शिरीष बेरी(विश्व प्रसिद्ध आर्किटेक्ट)

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  • जनसंख्या के बढ़ते दबाव से रहने के लिए कम होते स्थान पर केंद्रित होगा भविष्य का आर्किटेक्चर
  • भवन ऐसे बनाएं कि कम स्थान में अधिक लोग आरामपूर्वक रह पाएं
  • होटल जेपी पैलेस में जारी इंटरनेशनल आर्किटेक्ट्स कॉन्फ्रेंस में विद्यार्थियों और देशभर से आए आर्किटेक्ट्स को मिला आर्किटेक्चर में गुरु शिष्य परंपरा के साथ-साथ विरासत में प्राप्त प्रतिभा और आर्किटेक्चरल संपदा के उपयोग करने का संदेश
  • भवन निर्माण से जुड़े उत्पादों, तकनीक और इंटीरियर डिजाइंस की अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में सुबह से रात तक पहुंचे दस हजार से अधिक विजिटर्स, 17 सितंबर को कॉन्फ्रेंस और प्रदर्शनी का अंतिम दिन

आगरा। आज हर देश और हर शहर में जनसंख्या का दबाव बढ़ रहा है। परिणाम स्वरूप लोगों के जीवन यापन के लिए स्थान कम होता जा रहा है। ऐसे में आर्किटेक्ट्स के सामने चुनौती भी है और अवसर भी कि वे भवन स्थापत्य कला में इस तरह के नक्शे और डिजाइन बनाएं कि हर स्पेस का बेहतर और मल्टी पर्पज इस्तेमाल हो। साथ ही कम जगह में अधिक लोग आराम पूर्वक जिंदगी बसर कर पाएं..
यह कहना था विश्व प्रसिद्ध आर्किटेक्ट शिरीष बेरी का। श्री बेरी शनिवार को होटल जेपी पैलेस में आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन आगरा द्वारा आयोजित तीन दिवसीय इंटरनेशनल आर्किटेक्ट्स कॉन्फ्रेंस आर्कीकौन-2023 के दूसरे दिन देशभर से आए 200 से अधिक आर्किटेक्ट्स, विद्यार्थी, शोधार्थी और भवन निर्माण से जुड़े अन्य प्रोफेशनल्स को ‘चेंजेज एंड चॉइसेज फॉर द फ्यूचर’ विषय पर संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने समझाया कि भवन निर्माण सहित शहरों की आधारभूत संरचना के वास्तु में आर्टिफिशियल नहीं, रियल इंटेलिजेंस की जरूरत है। धरती के तापमान के साथ प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं और इधर आम लोग निरंतर जीवन देने वाली धरती, पानी और हवा को प्रदूषित कर अपने ही स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहे हैं। आज धन और भौतिकवाद की चकाचौंध में हमारे मन-मस्तिष्क में ही नहीं, हमारे आसपास का समूचा वातावरण नकारात्मक हो गया है।ऐसे में फिर आर्किटेक्ट्स के सामने चुनौती भी है और अवसर भी कि वे अपनी डिजाइंस के द्वारा ऐसा वातावरण बनाएं जिससे यह दुनिया प्रदूषण मुक्त हो, हरी भरी हो, मन को वास्तविक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करने वाली हो। लोगों के मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम, संवेदना और करुणा का भाव जन्म ले। हमारे रिश्तों की खोई हुई खुशबू वापस लौट आए।


उन्होंने कहा कि हमारी धरती मां प्रत्येक व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है लेकिन किसी के भी लालच की पूर्ति धरती मां नहीं कर सकती।
उन्होंने संदेश दिया कि घर का वास्तु ऐसा हो कि जीवन सहज और सरल रहे, जटिल नहीं। उन्होंने कहा कि चाइनीस कटलरी और फ्रेंच कटलरी से लाख बेहतर इंडियन कटलरी के रूप में परमात्मा द्वारा प्रदत्त हमारी उंगलियां हैं, इनका भोजन करते समय इस्तेमाल करें।
उन्होंने जोर देकर कहा कि लाइफ हार्मनी और लाइफ एनहांसिंग आर्किटेक्चर से अलग नहीं है। फ्यूचर आर्किटेक्चर इसी पर आधारित होगा।
उन्होंने लिफ्ट्स के बजाय पैदल चलते हुए परस्पर संवाद करने में सक्षम फ्लोर बनाए जाने का सुझाव दिया।
तकनीकी सत्र के क्रम में विश्व विख्यात आर्किटेक्ट क्रिस्टोफर बैनेगर ने कहा कि भूमि और भवन निर्माण की ऊंची होती कीमतों के मध्य 75 फ़ीसदी ओपन लैंड, पार्किंग स्पेस, सेंट्रल पार्क, बाउंड्रीज और आवागमन के लिए चौड़ी सड़क वगैरह छोड़ने के बाद बची हुई जगह में बेहतरीन मल्टी स्टोरी बिल्डिंग्स के निर्माण का वास्तु डिजाइन करना और उसमें अधिक से अधिक लोगों को आरामदायक घर प्रदान करना आज आर्किटेक्ट्स के लिए एक बड़ी चुनौती भी है और अवसर भी है कुछ कर दिखाने का।

  
उन्होंने अपने डिजाइंस दिखाते हुए युवा आर्किटेक्ट्स को संबोधित करते हुए कहा कि आप को अपनी आलोचना से भी सीखना होगा। ईगो को पीछे रखकर क्राउड की वॉइस को सुनना होगा। उन्होंने युवाओं को विरासत में प्राप्त अपनी प्रतिभा और आर्किटेक्चरल संपदा का बेहतर उपयोग करने की सीख भी दी।
इसी क्रम में आर्किटेक्ट संगीत शर्मा ने भी युवाओं से कहा कि आर्किटेक्चर के क्षेत्र में भी गुरु- शिष्य परंपरा की आवश्यकता है ताकि सीनियर आर्किटेक्ट्स का विशिष्ट ज्ञान और समृद्ध अनुभव नयी पीढ़ी तक पहुंचे और उसका इस्तेमाल दुनिया को बेहतर बनाने में किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस दिशा में इस तरह के अंतरराष्ट्रीय आयोजन बहुत बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
नेचर मौर्टे, नई दिल्ली से जुड़ी शुभी गुप्ता ने कला और वास्तु के सुंदर समन्वय पर आधारित अपना शानदार और सार्थक प्रेजेंटेशन देते हुए समझाया कि आर्किटेक्ट्स पेंटिंग्स, ड्राइंग्स, कविता-शायरी, वीडियोग्राफी, इंस्टालेशन, राइटिंग्स और वीडियोग्राफी के थ्रू मनो भावनाओं और एहसासों को व्यक्त करते हुए घर, कार्यालय सहित हर स्थल के डिजाइन को कितना खूबसूरत और मनभावन बना सकते हैं।
उन्होंने कहा कि डिजाइंस में इस्तेमाल की गई ये आर्ट केवल हमारे स्पेस को ही अपलिफ्ट नहीं करती बल्कि जनजीवन और मानव के लिए एक थेरेपी का काम भी करती है। साउथ एशिया में बच्चों के ऊपर इसी आर्ट थेरेपी का इस्तेमाल कर उनका स्वास्थ्य, सोच-विचार का स्तर और जीवन बेहतर बनाया जा रहा है।
श्रीमती पूर्णिमा शर्मा और मनीष गुलाटी ने भी सारगर्भित उद्बोधन दिया।

आर्किटेक्ट अपूर्व बोस दत्ता की पुस्तक हुई लोकार्पित
बेंगलुरु की आर्किटेक्ट अपूर्व बोस दत्ता द्वारा लिखी गई पुस्तक “आर्किटेक्चरल इन्हेरिटेंस एंड इवोल्यूशन इन इंडिया” का विमोचन कांफ्रेंस के दौरान जाने-माने आर्किटेक्ट क्रिस्टोफर बैनेगर, शिरीष बेरी, संगीत शर्मा, पूर्णिमा शर्मा और आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन आगरा के अध्यक्ष समीर गुप्ता विभव द्वारा किया गया।

ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में उमड़ी हजारों की भीड़
भवन निर्माण से जुड़े उत्पादों, तकनीक और इन्नोवेटिव इंटीरियर प्रोडक्ट्स की सबसे बड़ी ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी के दूसरे दिन भी सुबह से लेकर रात तक विजिटर्स का स्टॉल्स पर तांता लगा रहा।
आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन आगरा के प्रेसिडेंट समीर गुप्ता विभव ने बताया कि एक अनुमान के तहत लगभग दस हजार से अधिक लोगों का आज प्रदर्शनी में आना रहा। एक ओर कॉन्फ्रेंस में जहां नामी वक्ताओं से युवाओं को वास्तु का ज्ञान मिला, वही सबको एक छत के नीचे इस प्रदर्शनी के माध्यम से वास्तु, शिल्प और कला के क्षेत्र में नवीन उत्पादों और तकनीक के बेहतर इस्तेमाल करने के लिए निर्माताओं और वितरकों से सीधे संवाद करने का अवसर भी मिला।

‘किस्से आगरा से’ ने दिया ‘बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट’ का संदेश
अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन आगरा द्वारा ‘बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट’ की अवधारणा को सपोर्ट किया गया। इस क्रम में सामाजिक संस्था “किस्से आगरा से” ने “बेस्ट आउट ऑफ बेस्ट” और “री-यूज” पर आधारित बच्चों की प्रतियोगिता आयोजित की। बच्चों ने उपयोगी वस्तुएं बनाकर अपनी सर्जनात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इन बच्चों द्वारा बनाए गए इन प्रॉडक्ट्स को प्रदर्शनी में एक स्टॉल पर दिखाया गया जो विजिटर्स के लिए खासे आकर्षण का केंद्र रहे।
वही इंटीरियर डिजाइनिंग पर आधारित दिल्ली से प्रकाशित और एस ए फरीदी द्वारा संपादित मासिक पत्रिका एमजीएस भी आर्किटेक्ट्स के लिए आकर्षण का केंद्र रही।

यह रहे प्रमुख रूप से शामिल
आर्किटेक्ट एसोसिएशन आगरा के प्रेसिडेंट समीर गुप्ता विभव, सचिव अमित जुनेजा, अमित बघेल, सुनील चतुर्वेदी, येशवीर सिंह, सिद्धार्थ शर्मा, अनुराग खंडेलवाल, आकाश गोयल, अजय शर्मा, अवंतिका शर्मा, अनुभव दीक्षित, प्रीतम सिंह, अनुज सारस्वत, राहुल गुप्ता और जसप्रीत सिंह के साथ आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर प्रस्तावित मॉडिफिकेशन वर्क में जाने-माने आर्किटेक्ट चरणजीत शाह के साथ शामिल आगरा के युवा आर्किटेक्ट दक्ष शर्मा, प्रमुख उद्योगपति व समाजसेवी पूरन डाबर, सुमित गुप्ता विभव, सचिन सारस्वत और मीडिया समन्वयक कुमार ललित भी प्रमुख रूप से सहभागी रहे।

समीर गुप्ता विभव ने बताया कि तीन दिवसीय कांफ्रेंस का समापन 17 सितंबर, रविवार को होगा। सुबह 12:00 बजे से तकनीकी सत्र चलेंगे। सुबह 9:00 बजे से देर शाम तक अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी जारी रहेगी। उन्होंने शहर वासियों से प्रदर्शनी में आकर इस अंतरराष्ट्रीय अनुभव का लाभ लेने की अपील की।

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