अभिभावकों की शिकायत पर सांसद नवीन जैन ने डीएम को लिखी चिट्ठी

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आगरा। स्कूलों में मनमानी की शिकायत पर सांसद नवीन जैन ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने जिलाधिकारी आगरा, जिला विद्यालय निरीक्षक और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को चिट्ठी लिखकर कार्रवाई का निर्देश दिया है।स्कूलों की मनमानी के बारे में अभिभावकों ने सांसद नवीन जैन से व्यक्तिगत भेंट की। साथ ही फोन पर भी अपनी पीड़ा बताई। उन्हें बताया गया कि स्कूल चिह्नित दुकानदारों से ही पाठ्य पुस्तक लेने के लिए दबाव बना रहे हैं। अगली कक्षा में प्रमोट करने के लिए भी एडमिशन फीस ली जा रही है। साथ ही कोरोना काल की 15% फीस का समायोजन नहीं किया गया है।

सांसद नवीन जैन ने अभिभावकों को भरोसा दिलाया कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।। उन्होंने जिलाधिकारी से फोन पर वार्ता करने का प्रयास किया लेकिन फोन लगा नहीं। इस पर उन्होंने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर अभिभावकों की समस्याओं से अवगत कराया है।

सांसद नवीन जैन ने पत्र में लिखा है, आगरा के कई निजी स्कूलों में पाठ्य पुस्तकों की बिक्री और फीस को लेकर मनमानी चल रही है। इसके खिलाफ पापा संस्था द्वारा स्कूलों के द्वार पर धरना-प्रदर्शन भी दिया जा रहा है। इस संबंध में अनेक अभिभावक मुझे फोन कर रहे हैं। कई अभिभावक व्यक्तिगत रूप से आकर मिले भी हैं।

सांसद नवीन जैन ने पत्र में 6 बिंदु उठाए हैं। ये हैं-

.1. वार्षिक शुल्क में 14 हजार रुपये तक की वृद्धि की गई है, जो अभिभावकों पर असहनीय बोझ है। एडमिशन शुल्क में वृद्धि तत्काल वापस ली जाए।
2. एक बार किसी बच्चे ने स्कूल में प्रवेश ले लिया है तो अगली कक्षा में प्रमोट करने के लिए भी एडमिशन फीस ली जा रही है, जो गलत है। अगली कक्षा में प्रमोट तो बिना एडमिशन फीस के किया जाना चाहिए।
3. पुस्तकों के मूल्य में दोगुना तक वृद्धि कर दी गई है। आवश्यक है सभी स्कूलों में एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकें लगवाई जाएं।
4. स्कूलों ने अभिभावकों से कहा है कि उनके द्वारा अधिकृत विक्रेता से ही पुस्तकें खरीदी जाएं। किताबों के साथ कॉपी खरीदने की भी बाध्यता है। इस व्यवस्था से स्कूल और विक्रेताओं की मिलीभगत उजागर है।
5. स्कूल की यूनिफार्म और पाठ्यक्रम में हर वर्ष बदलाव किया जाता है। यह भी अभिभावकों पर अतिरिक्त बोझ है। पाठ्यक्रम तो एक सा ही रहता है। हर वर्ष पाठ्यक्रम और यूनिफार्म बदलने के पीछे कमीशनखोरी की आशंका अभिभावकों ने जताई है।
6. कोरोना काल में बढ़ाई गई फीस बाद में माननीय कोर्ट के आदेश पर वापस हो गई थी। अनेक स्कूलों ने अभी तक इसका समायोजन नहीं किया है। फीस का समायोजन तत्काल कराया जाए।

उन्होंने जिलाधिकारी से कहा है कि स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाएं ताकि अभिभावकों को राहत मिल सके।

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