अब नहीं चलेगी स्कूलों और पुस्तक विक्रेताओं के गठजोड की मनमानी

जिलाधिकारी ने दी सख्त हिदायत पुस्तक विक्रेता बिना जीएसटी बिल के नहीं बेच सकेंगे काॅपी-किताब और स्टेशनरी
कहा, स्कूल संचालक बेवजह बस्तों का न बढाएं बोझ, खरीदी गई किताबों और सामग्री का जीएसटी बिल अभिभावकों दें
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई अभिभावकों, निजी स्कूल संचालक, प्रधानाचार्यों, व्यापार मंडल संग कलेक्ट्रेट में बैठक
आगरा। स्कूल और किताब विक्रेता आम जनता की जेब पर डाका डाल रहे हैं। निजी स्कूल और किताब विक्रेताओं के बीच कमीशन का खेल होता है। इसके चलते स्कूल प्रबंधन पैरेंट्स को एक निर्धारित दुकान से ही किताब, कॉपियां और अन्य सामग्री खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। दुकानदार कई गुना दाम बढ़ाकर पैरेंट्स को यह सामग्री बेचते हैं। इसका मुनाफा सभी में बांटा जाता है। इसे देखते हुए प्रशासन ने अब सख्त रुख अपना लिया है। इसको लेकर लगातार मिल रहीं शिकायतों को लेकर प्रशासन सख्त हो गए। स्कूलों और पुस्तक विक्रेताओं को बुलाकर सख्त चेतावनी दी गई कि बेवजह बस्ते का बोझ न बढाएं। किताबों का बिल जीएसटी नम्बर के साथ दें। इसमें किसी तरह ढिलाई की गई तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
स्कूल संचालकों और बुक सेलरों के गठजोड और मनमानी की लगातार मिल रहीं शिकायतों पर सुनवाई के लिए जिलाधिकारी अरविन्द मलप्पा बंगारी ने शुक्रवार को स्कूल और पुस्तक विक्रेताओं और अभिभावकों की बैठक बुलाई। इस बैठक में सख्त हिदायत दी गई कि पुस्तक और स्टेशनरी विक्रेता महंगी किताबें और डेस बिना जीएसटी बिल के नहीं बेच सकेंगे। साथ ही स्कूल संचालकों और प्रधानाचार्यों को भी निर्देश दिए गए कि वह बेबजह अनावश्यक किताबों को सिलेबस में शामिल नहीं करेंगे। अभिभावकों की ओर से बताया गया कि निजी स्कूल संचालकों द्वारा अधिकृत बुक्स-स्टेशनरी विक्रेताओं, दुकानदारों से ही पुस्तकें, स्टेशनरी, और यूनिफॉर्म आदि की खरीद कराई जा रही है। तय सिलेबस से अलग पुस्तकें, सप्लीमेंट्री मैटेरियल के रूप में अनावश्यक स्टेशनरी, ज्योमेट्री बॉक्स, ए-4 साइज सिंगल लाइन कॉपी आदि सामान खरीदने को विवश किया जा रहा है। दुकानदारों द्वारा स्टेशनरी और किताब खरीद के बाद अभिभावकों को खरीद स्लिप भी नहीं दी जा रही है। यही नहीं जीएसटी बिल भी अभिभावकों को नहीं दिया जा रहा है। पुस्तक-स्टेशनरी विक्रेताओं द्वारा अभिभावकों को किताबों का पूरा सैट ही खरीदने को मजबूर किया जा रहा है। फुटकर बुक्स नहीं दी जा रहीं। बैठक में जिलाधिकारी ने स्कूल संचालकों, प्रिंसिपल और स्टेशनरी विक्रेताओं के पक्ष की भी विस्तार से जानकारी ली।
बैठक में जिलाधिकारी ने निजी स्कूल संचालकों, स्टेशनरी विक्रेताओं को सख्त हिदायत दी कि सभी बुक्स-स्टेशनरी विक्रेता अभिभावकों को खरीदी गईं सभी बुक्स और स्टेशनरी का जीएसटी नंबर युक्त बिल की स्लिप देंगे। स्कूल संचालक सिलेबस से अलग अनावश्यक बुक्स और स्टेशनरी न जोड़ें। दुकानदारों द्वारा मनमानी कीमत न वसूली जाए। सप्लीमेंट्री मैटेरियल ज्योमेट्री बॉक्स, ए-4 साइज सिंगल लाइन कॉपी और अन्य सामान की खरीद के लिए अभिभावक, खुले बाजार में किसी भी दुकान से खरीदने को स्वतंत्र हैं। स्कूल संचालकों और स्टेशनरी-विक्रेताओं द्वारा स्टेशनरी को अनिवार्य रूप से अभिभावकों को खरीदने के लिए दबाव नहीं बनाएंगे। जिलाधिकारी ने सख्त हिदायत दी कि शिकायत मिलने और उक्त निर्देशों का अनुपालन न करने बालों की जांच करा कठोर कार्यवाही के साथ संबंधित स्कूलों की मान्यता समाप्ति की संस्तुति के साथ प्रभावी कार्यवाही की जाएगी। बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि स्कूल संचालकों द्वारा अननेसेसरी बुक्स, स्टेशनरी और अन्य सामान स्कूल से अधिकृत दुकान से ही खरीद कराना, स्कूल के मोनोग्राम लगी स्टेशनरी, सिलेबस में मनमाने ढंग से अनावश्यक बुक्स और स्टेशनरी जोड़ना आदि यूपी सेल्फाइनेंस्ड इंडिपेंडेंट स्कूल (फी रेगुलेशन) एक्ट-2018 के अंतर्गत नियम विरुद्ध और दंडनीय है, ऐसे निजी स्कूल व बुक्स-स्टेशनरी विक्रेताओं को चिह्नित कर विधिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। बैठक में जिला विद्यालय निरीक्षक चंद्रशेखर, सह-जिला विद्यालय निरीक्षक विश्व प्रताप सिंह, नगर शिक्षा अधिकारी सुमित कुमार, व्यापार मंडल के जय पुरुसनानी, दीपक सारीन, स्कूल संचालक व प्रधानाचार्य, बुक्स-स्टेशनरी विक्रेताओं के प्रतिनिधि और अभिभावक मौजूद रहे।