आगरा विकास मंच ने भावना को दिया तीसरी बार जीवनदान

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शांति वेद हॉस्पिटल में हुआ जटिल सर्जरी का सफल संचालन

डॉ. श्वेतांक प्रकाश के सर्जरी करने से बची भावना की जान

दिल्ली के बड़े अस्पतालों ने कर दिया था इलाज से इनकार

आगरा। चिकित्सा के क्षेत्र में एक बार फिर मानवता की मिसाल कायम करते हुए डॉ. श्वेतांक प्रकाश ने 40 वर्षीय हृदय रोगी भावना के गॉलब्लैडर की दुर्लभ सर्जरी कर उनकी जान बचाई। रोशन मोहल्ला निवासी भावना के पति पान की दुकान चलाकर परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। उनके लिए महंगे इलाज का खर्च वहन कर पाना असंभव था। ऐसे में समाजसेवा में मिशाल कायम करने वालाआगरा विकास मंच उनकी मदद को आगे आया।

आगरा विकास मंच के अध्यक्ष राजकुमार जैन और संयोजक सुनील कुमार जैन ने बताया कि आज से 15 वर्ष पूर्व मंच के संस्थापक अशोक जैन ने भावना की दो बार हृदय की सर्जरी कराई थी। तब उनके हृदय के वाल्व बदले गए थे। विगत एक वर्ष से भावना के गॉलब्लैडर की गर्दन में जामुन के आकार का स्टोन फंसा हुआ था। जैन ने बताया कि दिल्ली के बड़े अस्पतालों ने इसे अत्यंत जोखिमपूर्ण बताते हुए न केवल इस सर्जरी को करने से इनकार कर दिया, बल्कि अत्यधिक खर्च की भी बात कही, जो भावना के परिवार के लिए वहन कर पाना कठिन था। इस पर आगरा विकास मंच ने इस चुनौती को स्वीकारते हुए शांति वेद हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक डॉ. श्वेतांक प्रकाश से संपर्क किया। उन्होंने इस दुर्लभ सर्जरी को सफलता पूर्वक अंजाम दिया और सर्जरी के मात्र दो घंटे बाद ही भावना को पैदल चला दिया।

निस्वार्थ सेवा का अनुपम उदाहरण

डॉ. श्वेतांक प्रकाश ने केवल अस्पताल का मूल खर्च ही आगरा विकास मंच से लिया। यह मंच का परोपकारी दृष्टिकोण ही है कि भावना को तीसरी बार जीवनदान मिला। डाॅ. श्वेतांक के इस सहयोग की डॉ ज्ञान प्रकाश, डॉ. बीके अग्रवाल, डॉ. रवि सभरवाल और मंच के महामंत्री सुशील जैन, प्रवक्ता संदेश जैन, धर्मेंद्र मुथा आदि ने सराहना की।

आगरा विकास मंच ने असंभव को संभव बनाया

डॉ विजय कत्याल ने बताया कि आगरा विकास मंच का यह सेवा भाव प्रशंसनीय है, जो न केवल आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को चिकित्सा सहायता प्रदान कर रहा है, बल्कि समाज में मानवता का संदेश भी फैला रहा है। राजकुमार जैन और सुनील कुमार जैन के प्रयास सराहनीय हैं, जिन्होंने असंभव को संभव बनाया। साथ ही डॉ. श्वेतांक प्रकाश का निस्वार्थ समर्पण चिकित्सा जगत के लिए प्रेरणास्रोत बताया। ऐसे चिकित्सकों और समाजसेवियों के कारण ही आज भी मानवता जीवित है।

 

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