ख्यालगोई के दंगल में एक-दूसरे पर भारी पडे ख्यालबाज

विलुप्त होती ख्यालगोई विधा का संरक्षण और प्रचार-प्रसार जरूरीः रामेन्द्र शर्मा
आगरा। प्राचीन ख्यालगोई अखाड़ा गुरु लाला पन्नालाल और गुरु पं. रूपकिशोर महाराज कचहरी घाट आगरा के तत्वावधान में बसन्तोत्सव पर निशान पूजन और ख्यालगोई दंगल का आयोजन बारादरी फाटक सूरजभान बेलनगंज पर किया गया। समारोह का शुभारंभ मां शारदे और गुरुपूजन के साथ पूजन से हुआ। अखाड़े के गुरुवर स्मृति शेष पं. मेघराज दुबे के सुपुत्र वर्तमान गुरु पं. मनोज दुबे और अखाड़े के खलीफा स्मृतिशेष राजेन्द्र प्रसाद जलद के सुपुत्र खलीफा नीरज शर्मा और विष्णु अग्रवाल के अतिरिक्त विशिष्ट अतिथि के रुप में ब्रजभाषा काव्य मंच के अध्यक्ष रामेन्द्र शर्मा रवि उपस्थित रहे।
विशिष्ट अतिथि रामेन्द्र शर्मा रवि ने अपने वक्तव्य में विलुप्त होती इस विधा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार पर बल देते हुए ऐसे आयोजनों को महत्वपूर्ण बताया और आयोजकों को साधुवाद दिया। ख्यालगोई के इस दंगल में तुर्रा पक्ष से मथुरा के वीरेन्द्र आई और हरप्रसाद, हरदुआगंज से प्रेम शंकर, आगरा से हरीश यादव, लखन सिंह, दुर्गा साहिर, राजेन्द्र फौजदार ने अपने कलामों से समां बांध दिया। जबकि कलगी पक्ष से प्रेमपाल सिंह आगरा, मुरारीलाल फिरोजाबाद और सम्पत राम व सुदामा मथुरा ने अपने गायन से दंगल में चार चांद लगाए। ख्यालगोई में प्रयुक्त विशेष साज चंग की मधुर संगत में ख्यालबाज एक-दूसरे पर भारी पड़ रहे थे। सभी ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं। दंगल के अंत में सभी ख्यालबाजों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ख्यालगोई के प्रशंसक व श्रोता उपस्थित थे।