जरदोजी हमारी धरोहर, हमारी पहचान

आगरा की प्राचीन धरोहर और संस्कृति की झलक सूरसदन में 26 को बिखरेगी
आगरा विरासत फाउंडेशन आयोजित कर रहा जरदोजी आधारित सांस्कृतिक शो
जरदोजी को आगरा के आर्थिक विकास का पहिया बनाने की होगी पहलः रंजना
आगरा। शाही दरबारों की शान-ओ-शौकत मानी जाने वाली जरदोजी के आज भी आगरा में लगभग 15 हजार शिल्पकार हैं, जो अपने हुनर से कल्पना को साकार करते हैं। इसी प्राचीन कला को मंच देने के लिए आगरा विरासत फाउंडेशन द्वारा ताज महोत्सव के तहत 26 फरवरी को शाम 5 बजे से सूरसदन प्रेक्षागृह में सांस्कृतिक शो जरदोजी हमारी धरोहर, हमारी पहचान का आयोजन किया जाएगा।
रविवार को संजय प्लेस स्थित होटल फेयरफील्ड बाय मैरियट में जरदोजी शो का आधिकारिक उद्घोषणा कार्यक्रम हुआ। जरदोजी कारीगरी के प्रतीक के रूप में बने अड्डे के विमोचन से पूर्व इस अद्भुत कला को प्रदर्शित करने के लिए तैयार किए गए सेल्फी पॉइंट का फीता काटकर उद्घाटन फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. रंजना बंसल, ताज हेरिटेज के फैजान उद्दीन, कोहिनूर ज्वैलर्स की रुचिरा माथुर, गणेशी लाल समूह के अलर्क लाल, अग्रज जैन, डॉ. रेणुका डंग, पूनम सचदेवा, राखी कौशिक, हिमानी सरण, शिवानी मिश्रा, मनाक्षी किशोर और आयुषी चैबे ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर डॉ. रंजना बंसल ने बताया कि ताज के दीदार के साथ पर्यटकों खासकर विदेशी सैलानियों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण है यहां के जरदोजी कारीगरों का हुनर। शहर की तंग गलियों में हस्तशिल्प का पुरातन कारोबार होता है। जरदोजी का काम यूं तो देश के कई अन्य शहरों में भी होता है, लेकिन आगरा में जो काम होता है, वह यूरोप और खाड़ी देशों की पहली पसंद है। यहां बड़े पैमाने पर थ्रेड पेंटिंग तैयार की जाती है। आगरा की इस प्राचीन धरोहर और कला को मंच देने के लिए आगरा विरासत फाउंडेशन कल्चरल शो का आयोजन कर रहा है। इसमें इस कला से जुड़े कलाकार अपनी प्रतिभा के साथ जरदोजी के वर्तमान स्वरूप पर अपने वक्तव्य प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने बताया कि चमकीले धागे को बारीक सुई में लपेटकर कपड़े पर करिश्मा बुनने की कला जरदोजी है। जरदोजी एक फारसी शब्द है, जिसका संधि-विच्छेद जरदोजी यानी सोने की कढ़ाई है। भारत में इसका काल ऋग्वेद से ही माना जाता है और कहा जाता है कि देवी-देवताओं को सजाने के लिए इस कला का उपयोग किया जाता था। इस मौके पर कोहिनूर ज्वेलर्स के संस्थापक घनश्याम गोपाल माथुर, डीजीसी रेवेन्यू अशोक चैबे, अंकिता माथुर, राशि गर्ग, तुलिका कपूर, आशु मित्तल, दिव्या गुप्ता, सुकृति मित्तल, साक्षी सहगल, श्रुति सिन्हा आदि मौजूद रहे। व्यवस्थाएं कीर्ति खंडेलवाल ने संभाली।
25 से 30 करोड़ का होता है सालाना निर्यात
ताज हेरिटेज के फैजान उद्दीन ने बताया कि कभी राज दरबारों की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाली जरदोजी कला अब विश्व के कई देशों में पहुंच चुकी है। इस कला से बने परिधान और अन्य वस्तुओं का निर्यात निरंतर बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार, इसके निर्यात में पिछले 5 सालों में दोगुनी से अधिक वृद्धि हुई है। 5 साल पहले आगरा से एक साल में 15 से 16 करोड़ का जरदोजी से सजा सामान निर्यात होता था। विश्व के कई देशों में मांग बढ़ने के बाद यह कारोबार अब करीब 25 से 30 करोड़ सालाना टर्नओवर पर पहुंच गया है। आगरा से अमेरिका के अलावा इंग्लैंड, फ्रांस, दुबई, कुवैत आदि देशों में आगरा के जरदोजी सामान की डिमांड है।