उर्स में जहांआरा को पेश की खिराजे अकीदत

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कुरानख्वानी और फातिहा ख्वानी कर तक्सीम किया लंगर

अकीदतमंदों ने जहांआरा की जीवनी पर डाला प्रकाश

आगरा। शाहजहां की बेटी जहां आरा का 334वां उर्स इस्लामिया लोकल एजेंसी के तत्वावधान में घटिया मामू भांजा ख्वाजा गरीब नवाज पर शुक्रवार को मनाया गया। सुबह कुरानख्वानी के बाद खिराजे अकीदत पेश की गई। बाद नमाज जुमा फातिहा और लंगर तक्सीम किया गया।
फातिहा जामा मस्जिद के पेश इमाम इरफान उल्लाह खां निजामी ने कराई। इस दौरान देश की तरक्की, अमन-चैन और भाई चारे के लिए दुआ मांगी गई। इस मौके पर इस्लामिया लोकल एजेंसी के चेयरमेन हाजी असलम कुरैशी ने जहां आरा बेगम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए खिराजे अकीदत पेश की। बताया कि बादशाह शाहजहां और मुमताज की चहेती बेटी जहांआरा ने शादी न करके अपने दहेज के पैसों से जामा मस्जिद की तामीर कराई थी। जहांआरा बेगम का मकबरा दिल्ली हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह में स्थित है। इस मौके पर हाजी बिलाल कुरैशी, जमील उद्दीन कुरैशी, अमजद कुरैशी, नदीम नूर, नदीम ठेकेदार, अनवार पहलवान, शेख इलियास, मुईन कुरैशी, मोहम्मद जुवैर और फिरोज अली आदि शामिल थे।

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